खामोशी,चुनावी रणनीति ,या मजबूरी!

क्या मायावती कि सी राजनीति क दवाओ के वजह से चुप्पी साधी होई है,?

कहा जाता है राजनीति में परि स्थि ति यां हमेशा एक जैसा नही रहता,वर्ष 2007 में ख़ुद के दम पर 207 सीटों के साथ 30 प्रति शत से अधि क वोट लाने वाली बहन कुमारी मायावती,की पार्टी बहुजन समाजवादी,उत्तर प्रदेश की राजनीति में,कभी नंबर एक की पार्टी हुआ करती थी!मायावती की शुमार देश के तेज तर्रा र राजनेताओं में हुआ करती है चाहे वो सोशल इंजीनि यरि ंग हो या राजनीति क चतुराई मायावती कई बार ख़ुद को राजनीति क शीर्ष पर स्थापि त कर चुकी है और साथ ही मायावती एक मात्र महि ला है जो चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी है! पश्चि मी उत्तर प्रदेश के एक छोटा सा गांव से लेकर राजनीति के चोटी तक पहुंचने का सफर मायावती के लि ए बि ल्कुल भी आसान नहीं था मायावती अपने राजनीति क गुरु श्री काशीराम के साथ मि लकर लगातार देश की बहूजनों की लड़ाई लड़ती रही और बहुजन समाज के राजनीति क और सामाजि क उत्थान का काम करती रही,शुरुआत के दि नों में कांशीराम और मायावती को कोई खासा कामयाबी तो नहीं मि ली लेकि न फि र भी वह लगातार संघर्ष करते रहे, काशीराम जी का मानना था,बहुजनों के लि ए बंद पड़े दरवाजों की एक मात्र चाबी, राजनीति क सशक्ति करण है, बि ना राजनीति क सशक्ति करण के बहुजन समाज का उत्थान नहीं हो सकता यही कारण था कि बहुजन समाजवादी पार्टी ने 80 के दशक में कुछ परमुख नारे भी दि ए जि सकी जि तनी संख्या भारी उसकी उतनी हि स्से दारी,जो बहुजन की बात करेगा वही दि ल्ली पे राज करेगा जैसे नारे और कांशीराम,मायावती की लगातार राजनीति क संघर्षों का नतीजा रहा की एक के बाद एक राजनीति क सीढ़ि यों को चढ़ती गई मायावती!1995 से लेकर 2007 तक चार बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर शपथ लेने वाली मायावती के लि ए राजनीति क सफर बहुत ज़्यादा हमवार नहीं रहा! पिछले एक दशक से उत्तर प्रदेश के राजनीति क समीकरण बहुत तेजी से बदल रही वहीं काशीराम की वि रासत को संभाले और बहुजनो की लड़ाई लड़ने वाली मायावती और उनकी पार्टी लगातार हाशि ये ओर बढ़ रही है चाहे वो पार्टी की घटती लोकप्रि यता हो या पार्टी के अंदरूनी कलह मायावती के लि ए मुश्कि लें कम होने का नाम नहीं ले रही है ऐसे में मायावती को लेकर अलग-अलग अटकले लगाई जा रही है साथ में कई तरह के सवाल भी उठाए जा रहे है! मायावती की चुप्पी राजनीति क रानि ति का कोई हि स्सा तो नही! क्या मायावती कि सी राजनीति क दवाओ के वजह से चुप्पी साधी होई है,? मायावती और उसकी पार्टी कहीं राजनीति क ढलान में तो नही है! क्या आपने वोटरों को लेकर अस्वस्थ है मायावती!! मुजुदा भारतीय जनता पार्टी सरकार एवं मुख्यमंत्री योगी आदि त्यनाथ खुद समय, समय पर मायावती पे आरोप लगाते रहे है चाहे वो आय से अधि क संपत्ति का मामला हो या फि र चुनाव प्रचार में खर्च कि ए गए संसाधन भाजपा सहि त तमाम राजनीति क पार्टि यों ने मायावती पर जोरदार हमला करते रहा लेकि न इस सब के इतर मायावती के राजनीति क ताकत को कम कर के आंकने की गलती कोई भी राजनीति क दल नही करना चाएगी! आज भी मायावती उत्तर प्रदेश में बहुजनों की सब से बड़ी और ताकतवर राजनीति क चेहरा है।

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